वास्तविक सखा किसे कहते हैं?

मित्र या सखा उसी को कहा जा सकता है जो तुम्हारे पारमार्थिक कल्याण प्राप्ति में प्रयत्नशील और समान सु:ख-दुःख में भागीदार हो। एक प्राण-एकात्मा होने पर ही मित्रता प्रमाणित होती है। वास्तविक मित्रता समान-धर्म-युक्त कर देती है, इसका व्यक्तिक्रम होने पर ही सखित्व का अभाव देखा जाता है। तुमने तुम्हारे मित्र के लिए त्याग सवीकार किया है, यह तुम्हारी उदारता है; किन्तु तुम्हारे हर्दय को समझकर तुम्हारे प्रति उसे भी कुछ कर्तव्य पालन करना चाहिए था। जो मर्म को नहीं समझता है, क्या उसे मित्र या सखा कहा जा सकत है?