प्रश्न- महामाया भगवान् की दासी है। फिर भी वे हमारे भीतर श्रीकृष्ण से विमुख हो जाने की अभिलाषा क्यों उत्पन्न करती हैं?

उत्तर –

‘भगवान्’- शब्द का अर्थ इस प्रकार है- भग का अर्थ है ‘ऐश्वर्य ‘तथा ‘वान ‘का अर्थ है जिनके पास यह है। भगवान् के पास केवल 6 ऐश्वर्य नहीं, बल्कि असंख्य ऐश्वर्य हैं।  ऐश्वर्यों के अन्तर्गत ‘अंतरंगा शक्ति’, ‘बहिरंगा शक्ति’ तथा ‘तटस्था शक्ति’ अथवा जीव शक्ति है। ये तीन प्रकार की शाक्तियाँ इस जगत के बद्ध जीवो के लिए प्रासंगिक है।  अन्तरंगा शक्ति को योग माया तथा बहिरंगा शक्ति को महामाया कहा जाता है। उदाहरण के लिए, हम इस जगत में देखते हैं कि माता अपने बच्चे से स्नेह करती हैं।  इसी स्नेह के कारण वह कभी अपने बच्चे को दुलार करती हैं तो कभी-कभार थप्पड़ भी मार देती है। इसी प्रकार प्रेम के कारण ही भगवान् कभी बद्ध जीवों को उनके कुकृत्यों के लिए महामाया के माध्यम से दण्डित करते हैं  तथा कभी योगमाया के माध्यम से भगवान् के शरणागत होने और उनकी भक्ति करने का प्रेममय परामर्श देते हैं।