सभी में परस्पर स्नेह

वर्तमान युग में मनुष्य के परम कल्याण के लिए नाम-संकीर्तन ही सर्वोत्तम औषधि तथा सर्वाधिक प्रभावशाली मार्ग है,  क्योंकि इसे किसी भी परिस्थिति में करना संभव है। भगवान् श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के अनुसार हरि नाम संकीर्तन इस पृथ्वी पर सबसे प्रभावशाली पारमार्थिक शक्ति हैं। यह सभी लोगों के हृदय में प्रेम-मैत्री तथा एकता स्थापित करने में सक्षम है, जिससे संसार में यथार्थ शांति स्थापित होगी।                                        

                     प्रेम अहिंसा से भी श्रेष्ठ है। अहिंसा में केवल दूसरों को कष्ट देने से मना किया जाता है जबकि प्रेम का अर्थ है सबका कल्याण करना। यह सकारात्मक है। जहां प्रेम है, वहाँ प्रिय वस्तु को किसी तरह का कष्ट दिए जाने का प्रश्न ही नहीं उठ सकता। जब हमें श्रीकृष्ण से प्रेम हो जाएगा तब हम उनके किसी भी अंग, जैसे उनकी तटस्थता शक्ति से उत्पन्न समग्र जीव जगत को चोट पहुंचाने की सोच भी नहीं सकते। सभी प्राणियों का श्रीकृष्ण से सामान्य सम्बन्ध है, फलस्वरूप वे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। नाम-संकीर्तन एक सार्वभौमिक धर्म है जिसकी ध्वजा के नीचे सभी सम्प्रदाय और वर्ग के लोग एकत्रित हो सकते हैं।