साधुसंग और अ-साधुसंग?

कौन साधु है [और कौन असाधु], इसका निर्णय होना चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हम ‘साधु’ के वेष में किसी ‘असाधु’ का संग करते हैं तो फायदा होने के बजाय, अमंगल और हानी होगी।

— गुरुदेव श्रीश्रीमद् भक्ति वेदान्त वामन गोस्वामी महाराजजी, सभापति-आचार्य श्री गौड़ीय वेदान्त समिति।

[पत्र दिनांक : 26 जुलाई, 1972]