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श्रीनाम चिंतामणि

“श्रीचैतन्यदेव जी ने हमें जो दिया है उनमें से एक विशिष्ट देन है- श्रीनाम-संकीर्त्तन। 64 प्रकार के साधन अंगों में जो पाँच मुख्य साधन हैं, वे हैं- साधुसंग, नामकीर्त्तन, भागवत-श्रवण, मथुरावास और श्रद्धा से श्रीमूर्त्ति का सेवन। इन पाँच मुख्य भक्ति अंगों के साधनों में श्रीनाम-संकीर्त्तन सर्वोत्तम है।”

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