वृन्दावन धाम में वृन्दावनचन्द्र कृष्ण व उनके निजजनों की कृपा बिना कोई नहीं आ सकता है। यदि किसी का कोई अपराध है, वह वृन्दावन धाम में नहीं आ सकता है। किस प्रकार से आया जाएगा? वैष्णव की कृपा सर्वोपरि है। उनकी कृपा से सब सम्भव है। वे अपराधी को भी क्षमा कर देते हैं। हरिदास … Continue reading उनके आविर्भाव के लिए स्वयं को तैयार करें
कलयुग में अधम प्राणियों की दुखद दुर्दशा को देखकर स्वयं श्रीकृष्ण अहैतुकि कृपा प्रकाशित करते हुए श्रीमती राधारानी का भाव और अंग-कांति को स्वीकार करके पतित जीवों के उद्धार के लिए श्रीमायापुर धाम (नदिया, पश्चिम बंगाल) में श्रीचैतन्य महाप्रभु के रूप में आविर्भूत हुए। जब भगवान् श्रीचैतन्य महाप्रभु 1486 ईसवी में अवतरित हुए, उस समय … Continue reading सत्य की खोज
सुन्दरवन में बाघ सुअर सर्प आदि हिंसक और दुष्ट प्राणियों का वास है। वहाँ अधिक दिन रहने पर उसी प्रकार की हिंसा-मत्सरता के वशीभूत होना बहुत स्वाभाविक है।
भगवान् के आविर्भाव का मुख्य कारण तो भक्त हैं। जैसे पति के विरह से कातर सद्पत्नी का दुःख, पति के अतिरिक्त अन्य किसी प्रतिनिधि के द्वारा, किसी द्रव्य या किसी भी उपाय से दूर नहीं हो सकता, उसी प्रकार भगवान् के अवतीर्ण न होने तक भक्त का विरह – दु:ख दूर नहीं होता। इसलिये साधुओं … Continue reading -भगवान् के आविर्भाव का मुख्य कारण
श्रील वंशीदास बाबा जी महाराज श्रील वंशीदास बाबाजी महाराज अवधूत परम हंस वैष्णव थे। पूर्वबंग (अभी बंगलादेश) में मैमन सिंह ज़िले में जामालपुर के पास मजिदपुर ग्राम में बाबाजी आविर्भूत हुये थे। इनके माता पिता जी के परिचय के विषय में कोई जानकारी नहीं है। साप्ताहिक ‘गौड़ीय’ पत्रिकाओं में प्रकाशित बाबा जी महाराज के अलौकिक … Continue reading श्रील वंशीदास बाबा जी महाराज
श्रील रघुनन्दन ठाकुर व्यूहस्तृतीय: प्रद्युम्न: प्रियनर्म सखो¿भवत् । चक्रे लीला सहायं यो राधा माधवयोर्व्रजे । श्रीचैतन्याद्वैत तनु: स एव रघुनन्दन: । (गौर. ग. 70) प्रद्युम जी तृतीय व्यूह के हैं। इन्होंने कृष्ण के प्रियनर्म सखा होकर व्रज में श्रीराधामाधव जी की लीला में सहायता की थी। वे प्रद्युम जी ही इस समय श्रीचैतन्य के अभिन्न … Continue reading श्रील रघुनन्दन ठाकुर
दुखों के मूल कारण के विषय पर श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के वर्तमान आचार्य श्री श्रीमद भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ! हम बंधन में हैं और हमें तीन प्रकार के ताप सता रहे हैं; इस बात से सिद्ध होता हैं कि हम भगवान श्रीकृष्ण से विमुख हो गए है | हमारे दुखों … Continue reading दुखों के मूल कारण के विषय पर
श्रेष्ठतम साधन मनुष्य जीवन ही एक ऐसा अनमोल जीवन है जिसमें भगवद् भक्ति करने का सर्वोत्तम सुयोग हैI मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसे सद्-असद् का बोध है व जो सद् वस्तु भगवान की आराधना करके सब कुछ, यहाँ तक कि पूर्णतम्-वस्तु श्रीकृष्ण को भी प्राप्त कर सकता हैI श्रीमद् भागवत् में चित्त को … Continue reading श्रेष्ठतम साधन
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TODAY - Ashwin, September 18, 2024
Purnima – Sri Vishwarup Mahotsav.