भजन-मार्ग एक लंबी यात्रा है; हमें वाञ्छित फल की प्राप्ति अनायास ही नहीं हो सकती। जैसा कि श्रील रुप गोस्वामी ने उपदेशामृत में निर्देश किया है, ‘बिना उत्साह, दृढ़ निश्चय कि कृष्ण अवश्य ही हम पर कृपा करेंगे, धैर्य, भक्ति-अंगों का पालन, दुःसंग त्याग व शास्त्र-वाक्यों में निष्ठा के अभाव में, हम भजन-मार्ग में सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते।’ संसार में भी धैर्य का अभाव होने पर हम सफल नहीं हो सकते। अतः आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक धैर्य की आवश्यकता है।

श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज

हरिनाम भगवान् को वशीभूत करने में समर्थ है-

 

ऋणमेतत् प्रवृद्ध मे हृदयान्नापसर्पति।
यदेगोविन्देति चुक्रोश कृष्णा मां दूरवासिनम् ।।
(महाभारत)

बहुत ही दूर रहने के कारण द्रौपदी ने मुझे जोर से ‘हे गोविन्द’ कहकर पुकारा था। उसकी कातर पुकार का मुझ पर बहुत बड़ा ऋण हो गया, जो आज भी मेरे ह्रदय से उतर नहीं रहा है

जनवरी 11, 2025
त्रिस्पर्श। जयंती महाद्वादशी का व्रत। (त्रिस्पर्शा) श्रीजगदीश पंडित का आविर्भाव। त्रिदंडी स्वामी श्रीमद् भक्ति कुमुद संत गोस्वामी महाराज का तिरोभाव।

जनवरी 12, 2025 चतुर्दशी
प्रातः 9:59 से पहले पारण।