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  • सर्वमहागुणगण वैष्णव शरीरे। कृष्ण भक्ते कृष्णर गुण सकल संचारे। सेई सब गुण हय वैष्णव-लक्षण। सब कहा न याय करि दिग्दर्शन।। कृपालु, अकृत-द्रोह, सत्य-सार, सम। निर्दोष, वदान्य, मृदु, शुचि, अकिंचन।। सर्वोपकारक शांत, कृष्णैकशरण। अकाम, निरीह, स्थिर, विजित-षड्गुण। मित्भुक, अप्रमत, मानद, अमानी। गम्भीर, करुण, मैत्र, कवि, दक्ष, मौनी। कृष्ण भक्त के ये तमाम गुण हमें श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी के शुद्धभक्तिमय जीवन में परिपूर्ण रूप से प्रस्फुटित देखने को मिलते हैं। कृपालु, दयानिधि गौरहरि जी ने बद्ध जीवों पर जैसे नौ प्रकार से कृपा वर्षण की हैं, उनके निजजन श्रील भक्ति विनोद ठाकुर महाशय को भी वैसी ही दया को वितरण करते देखा जाता है।
  • पार्श्व एकादशी (वामन एकादशी) के अवसर पर

    आजकल मुझे हरिकथा बोलने और हमारे आराध्यदेव श्री गुरु गौरांग राधा श्यामसुंदर, पंच पांडवों और वैष्णवों के दर्शन करने का अवसर नहीं मिलता है। यह मेरा दुर्भाग्य है। मेरे एक मित्र ने मुझे सलाह दी कि आज नहीं कुछ दिन बाद बोलने से अच्छा है। लेकिन मैंने उत्तर दिया, “आज वामन एकादशी है। हर कोई … Continue reading पार्श्व एकादशी (वामन एकादशी) के अवसर पर


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    जगद्गुरु श्रील प्रभुपाद आविर्भाव तिथि-पूजा

    मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि हमारे परम गुरुजी (श्रील प्रभुपाद) की आविर्भाव तिथि में, व्यास पूजा के उपलक्ष्य में पंजाब, लुधियाना में आऊँगा। दैव से हो गया। साधारणतः इस समय मेरा यहाँ आना होता नहीं है। किन्तु भगवान की इच्छा के बिना पेड़ का एक पत्ता भी नहीं हिलता है। इसलिए यह … Continue reading जगद्गुरु श्रील प्रभुपाद आविर्भाव तिथि-पूजा


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    एकादशी-व्रत का पालन केवल भगवान को प्रसन्न करने के लिए करें

    आज हरिवासर तिथि है। हरि की प्रिय तिथि है। कृष्ण कहते हैं—जैसे नागों में शेषनाग श्रेष्ठ हैं, यज्ञ में अश्वमेध यज्ञ श्रेष्ठ है, देवताओं में विष्णु श्रेष्ठ हैं, मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है, उसी प्रकार सभी व्रतों में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ है। इसके आगे कहा कि 5000 साल तप करने का जो पुण्य मिलता है, … Continue reading एकादशी-व्रत का पालन केवल भगवान को प्रसन्न करने के लिए करें


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    श्रीअद्वैत आचार्य

    व्रजे आवेशरुपत्वाद्वयूहो योऽपि सदाशिवः। स एवाद्वैतगोस्वामी चैतन्याभिन्न विग्रहः॥ (गौ. ग. दी. 76) जो व्रज के आवरण रूप से नियुक्त है तथा जो सदाशिव व्यूह नाम से प्रसिद्ध है-वे ही अद्वैत गोस्वामी जी हैं। आप श्रीचैतन्य महाप्रभु जी से अभिन्न शरीर हैं। यश्र्च गोपालदेहः सन् व्रजे कृष्णस्य सन्निधौ। ननर्त्त श्रीशिवातन्त्रे भैरवस्य वचो यथा॥ एकदा कार्तिक मासि … Continue reading श्रीअद्वैत आचार्य


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    श्रील पुण्डरीक विद्यानिधि

    वृषभानुतनया ख्यातः पुरा यो व्रजमण्डले। अधुना पुण्डरीकाक्षो विद्यानिधि महाशयः॥ स्वकीय भावमास्वाद्य- राधा विरह कातरः। चैतन्यः पुण्डरीकाक्षमये तातावदत् स्वयम्॥ प्रेमनिधितया ख्यातिं गौरो यस्मै ददौ सुखी। माधवेन्द्रस्य शिष्यत्वात् गौरवञ्च सदाकरोत्॥ तत्प्रकाशविशेषोऽपिमिश्रः श्रीमाधवो मतः। रत्नावतीतु तत्पत्नी कीर्त्तिदा कीर्त्तिता बुधैः॥ (गौ. ग. दी. 54-57) अर्थात् पहले जो व्रजमण्डल में वृषभानु रूप से विख्यात थे, वही महाशय इस समय श्रीचैतन्य … Continue reading श्रील पुण्डरीक विद्यानिधि


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    श्रीविष्णु प्रिय देवी

    श्रीसनातनमिश्रोऽयं पुरा सत्राजितो नृपः। विष्णुप्रिया जगन्माता यत् कन्या भू-स्वरूपिणी॥ (गौ.ग.दी. 47) पूर्वकाल में जो राजा सत्राजित थे, वही दूसरे जन्म में श्रीसनातन मिश्रा नाम से पैदा हुए हैं। जगन्माता भूस्वरूपिणी-विष्णु प्रिय जी, उन्हीं की कन्या हैं। यदुवंश के राजा सत्राजित की कन्या सत्यभामा से श्रीकृष्ण ने विवाह किया था। गौरलीला में राजा सत्राजित श्रीसनातन मिश्र … Continue reading श्रीविष्णु प्रिय देवी


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    श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी

    दास श्रीरघुनाथस्य पूर्वाख्या रस मंजरी। अमुं केचित् प्रभाषंते श्रीमती रति मंजरीम्।। भानुमत्याख्या केचीदाहुस्तं नाम भेदत :।। (गौ.ग.दी. १८६)            कृष्णा लीला में जो रस मंजरी, मतान्तर में रति मंजरी अथवा भानुमती (सखी परिचारिका दुती) हैं, श्रीगौर लीला में वे ही श्रीरघुनाथ दास गोस्वामी के रूप में प्रकट हुई हैं।           अनुमानत : शक सम्वत् १४१६में … Continue reading श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी


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    श्रील रघुनन्दन ठाकुर

    श्रील रघुनन्दन ठाकुर व्यूहस्तृतीय: प्रद्युम्न: प्रियनर्म सखो¿भवत् । चक्रे लीला सहायं यो राधा माधवयोर्व्रजे । श्रीचैतन्याद्वैत तनु: स एव रघुनन्दन: । (गौर. ग. 70) प्रद्युम जी तृतीय व्यूह के हैं। इन्होंने कृष्ण के प्रियनर्म सखा होकर व्रज में श्रीराधामाधव जी की लीला में सहायता की थी। वे प्रद्युम जी ही इस समय श्रीचैतन्य के अभिन्न … Continue reading श्रील रघुनन्दन ठाकुर


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    मधुसूदन – 28, 4 मई - 2023
    गुरुवार श्रीश्रीनृसिंह-चतुर्द्दशी व्रत उपवास।

    मधुसूदन – 29, 5 मई - शुक्रवार
    सूर्योदय के बाद तथा प्रातः 9.25 से पहले पारण। बुद्ध पूर्णिमा। श्रीकृष्ण का फूलदोल और सलिल विहार (श्रीरामकृष्ण देव एवं श्री मदनमोहन जी का नरेन्द्र सरोवर, श्रीजगन्नाथपुरी में नौका विहार ) । श्रीश्रीराधारमणदेव जी की प्राकट्य तिथि। श्रील परमेश्वरी दास ठाकुर का तिरोभाव। श्रील श्रीनिवास आचार्य का आविर्भाव । श्रीमाधवेन्द्रपुरीपाद जी का आविर्भाव ।

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