-कृष्ण नाम और कृष्ण मन्त्र सर्वोत्तम होते हुए भी कृष्ण नाम में अपराध का विचार है। श्रीकृष्ण नाम के आभास से करोड़ों-करोड़ों जन्मों के पाप ध्वंस हो जाते हैं व मुक्ति प्राप्त होती है – ये सत्य है। किन्तु अपराध रहने से नामाभास भी नहीं होता। अपराधी पर कभी श्रीकृष्ण ने कृपा नहीं की। :- श्रील … Continue reading दिव्य उपदेश:-
अवश्य ही। वैष्णव कृष्णके आश्रित हैं—कृष्ण के सेवक हैं। उनके ह्रदय में भगवान् के सेवक अभिमान के अतिरिक्त अन्य कोई अभिमान नहीं होता। वे अकिन्चन होते हैं, इस जगत की कोई भी वस्तु नहीं चाहते। इस जगत की कोई भी वस्तु उन्हें लुब्ध नहीं कर सकती। इस जगत या परजगत में ऐसी कोई भी वस्तु … Continue reading क्या वैष्णव अकिन्चन होते हैं?
हमारे लिए श्रीकृष्णकी अपेक्षा श्रीगुरुदेव की अधिक प्रयोजनीयता है। श्रीगौरसुन्दर समस्त गुरुओंके भी गुरु हैं। उनहोंने बताया कि गुरु भगवान् से अभिन्न होने पर भी भगवद्भक्तों के प्रधान तत्व के रूपमें गुरुतत्व का अवस्थान है। श्रीगुरुदेव कृष्ण के प्रेष्ठ तथा वैष्णवों में सर्वश्रेष्ठ हैं। वे भक्तराज-सेवक भगवान्-सेवाविग्रह-आश्रयविग्रह हैं। वे कृष्ण की भांति विषय विग्रह या … Continue reading गुरुदेव क्या वस्तु हैं?
जिस मार्ग में कृष्ण-सेवा की चर्चा नहीं उसे अभक्ति-मार्ग कहते हैं। श्रीकृष्ण की उत्तम सेवा में कृष्ण के अतिरिक्त अन्यवस्तु की अभिलाषा, कर्म, ज्ञान तथा शिथिलता का आवरण नहीं। उसमें कृष्ण का अनुकूल अनुशीलन होता है। अनेक लोग भक्त होनेकी अभिलाषा करते हुए भी अभक्ति के मार्ग का आश्रय ग्रहण किया करते हैं। जो कृष्ण-भक्ति … Continue reading अभक्ति का परिचय
कलयुग में अधम प्राणियों की दुखद दुर्दशा को देखकर स्वयं श्रीकृष्ण अहैतुकि कृपा प्रकाशित करते हुए श्रीमती राधारानी का भाव और अंग-कांति को स्वीकार करके पतित जीवों के उद्धार के लिए श्रीमायापुर धाम (नदिया, पश्चिम बंगाल) में श्रीचैतन्य महाप्रभु के रूप में आविर्भूत हुए। जब भगवान् श्रीचैतन्य महाप्रभु 1486 ईसवी में अवतरित हुए, उस समय … Continue reading सत्य की खोज
यहाँ जीव का अर्थ है, पशु-पक्षी आदि सभी प्राणी। 84 लाख प्रकार के प्राणी समुदाय हैं। विष्णुपुराण में वर्णित है- जलजा नवलक्षाणि ….. 9 लाख प्रकार के जलचर प्राणी हैं, 20 लाख प्रकार के पेड़-पोधै, 11 लाख प्रकार के जीव-जंतु, 10 लाख प्रकार के पक्षी, 30 … Continue reading मनुष्य जन्म अति दुर्लभ
प्रिय श्री.. भगवान् श्रीकृष्ण और जीव का एक-दूसरे के साथ नित्य सम्बन्ध है। भगवान् श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने इस सम्बन्ध को ‘अचिन्त्यभेदाभेद’ कहा है। इसका अर्थ है की हम भगवान् श्रीकृष्ण से एक ही समय पर भेद भी हैं और अभेद भी। जब में अपने घर में रहता था तब मुझे जीव-तत्व और भगवद्-तत्व … Continue reading प्रश्न – कृपया मुझे जीव तत्व के सम्बन्ध में बताइये। मैं आपको तत्वदर्शी मानता हूँ और आपकी वाणी को शास्त्र की वाणी के रूप में स्वीकार करूँगा।
“जिससे भलीभांति समय का सदुपयोग हो पाए, उस प्रकार चेष्टा करना। कभी भी आलस्यपूर्वक व्यर्थ समय नष्ट नहीं करना। संसार में रहना है तो 5 लोगों को देखना-सुनना होगा तथा उनका आदर-सम्मान भी करना होगा। यह सब करते हुए भी कुछ समय निकालकर भगवान की नित्य सेवा पूजा तथा ग्रंथ अध्ययन का अभ्यास अवश्य ही … Continue reading व्यर्थ समय नष्ट नहीं करके शास्त्र ग्रंथ की चर्चा करनी चाहिए।
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गुरुवार- 8 अप्रैल, 2021
बंगाल, आसाम आदि पूर्व अंचल में आज पापमोचनी एकादशी-उपवास है। उत्तर एवं पश्चिम अंचल में आज पक्षवर्द्धिणी महाद्वादशी व्रत है। श्रील गोविन्द घोष ठाकुर का तिरोभाव। वराह नगर में श्रीचैतन्य महाप्रभु जी का शुभ-विजय स्मरण उत्सव। (द्वादशी-गुरुवार भोर 04:24 से शुक्रवार भोर 04.21 तक; तुलसी चयन निषेध।)
शुक्रवार - 9 अप्रैल, 2021
पूर्वाह्न (सुबह) 09.35 से पहले पारण।
बुधवार - 14 अप्रैल, 2021
श्रीकेशव-व्रत आरम्भ। (श्रीतुलसी जी में जलधारा प्रदान)
बुधवार - 21 अप्रैल, 2021
श्रीरामनवमी व्रतोपवास। श्रीराम चन्द्र जी का प्राकट्य। श्रीश्रील प्रभुपाद – अनुकम्पित त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद् भक्ति सौध आश्रम गोस्वामी महाराज जी का तिरोभाव। त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद् भक्ति वल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी की 97वीं वार्षिक आविर्भाव तिथि पूजा।
गुरुवार - 22 अप्रैल, 2021
पूर्वाह्ण (सुबह) 9.29 से पहले पारण।