हाल ही में मैं बागबाज़ार गौड़ीय मठ में दर्शनों के लिए गया तो वहाँ पर मठ के एक जयेष्ठ ब्रह्मचारी प्रभु जी से सुन्दर वार्तालाप हुआ। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि मैं श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी का शिष्य हूँ तो उन्होंने गुरु महाराज जी की महिमा कीर्तन करना प्रारम्भ कर दिया।
हमारे लिए श्रीकृष्णकी अपेक्षा श्रीगुरुदेव की अधिक प्रयोजनीयता है। श्रीगौरसुन्दर समस्त गुरुओंके भी गुरु हैं। उनहोंने बताया कि गुरु भगवान् से अभिन्न होने पर भी भगवद्भक्तों के प्रधान तत्व के रूपमें गुरुतत्व का अवस्थान है। श्रीगुरुदेव कृष्ण के प्रेष्ठ तथा वैष्णवों में सर्वश्रेष्ठ हैं। वे भक्तराज-सेवक भगवान्-सेवाविग्रह-आश्रयविग्रह हैं। वे कृष्ण की भांति विषय विग्रह या … Continue reading गुरुदेव क्या वस्तु हैं?
यहाँ जीव का अर्थ है, पशु-पक्षी आदि सभी प्राणी। 84 लाख प्रकार के प्राणी समुदाय हैं। विष्णुपुराण में वर्णित है- जलजा नवलक्षाणि ….. 9 लाख प्रकार के जलचर प्राणी हैं, 20 लाख प्रकार के पेड़-पोधै, 11 लाख प्रकार के जीव-जंतु, 10 लाख प्रकार के पक्षी, 30 … Continue reading मनुष्य जन्म अति दुर्लभ
“दीनता और नम्रता का अर्थ है सत्य के प्रति पूर्ण शरणागति और असत्य के लिए कोई सहानुभूति नहीं। जो व्यक्ति असत्य के लिए किसी भी प्रकार का पक्षपात करता है वह श्रीहरि-कीर्तन करने के लिए उपयुक्त नहीं है।” — श्रील प्रभुपाद भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर
[सन् 1962 में हैदराबाद के राजभवन में श्रीलगुरुदेव जी का भाषण।] “श्रीकृष्णचैतन्य महाप्रभु ने श्रीनाम-संकीर्त्तन को जीव के चरम कल्याण प्राप्त करने के लिए परम उपाय बताया है। अज्ञान रूपी पित्त से पीड़ित जिह्वा को श्रीकृष्ण नाम की अपूर्व स्वादुता पहले-पहले अनुभव में नहीं आएगी, किन्तु बार-बार, आदरपूर्वक श्रीकृष्ण-नाम करते रहने से अज्ञान दूर … Continue reading श्रीनाम-संकीर्त्तन
[सन् 1968 में कृष्णनगर मठ में वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में टाऊन हाल में अनुष्ठित दूसरे अधिवेशन में श्रील गुरुदेव जी का अभिभाषण] वस्तु की महिमा न जानने तक उसके प्रति मनुष्य की रूचि और आग्रह जाग्रत नहीं होता और न ही वह उससे उचित व्यवहार ही कर सकता है। हज़ार रुपये अथवा सौ रुपये … Continue reading श्रीभगवद्-भजन की महिमा
महाप्रभु ने श्रीचैतन्यचरितामृत और श्रीचैतन्य भागवत – इन दोनों ही ग्रंथों में “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।” इस सोलह नाम और बत्तीस अक्षर वाले हरिनाम महामन्त्र को जीव मात्र को ग्रहण करने का उपदेश दिया है। श्रीगोपालगुरु गोस्वामीजी ने महामन्त्र के सोलह नामों के … Continue reading महामंत्र
श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु जी ने भी नन्दनन्दन श्रीकृष्ण को ही सर्वोत्तम आराध्य रूप से निर्देश किया है। जीव की हर प्रकार की इच्छित वस्तु की सर्वोत्तम परिपूर्ति एक मात्र नन्दनन्दन श्रीकृष्ण की आराधना से ही हो सकती है। किन्तु ये सब बातें हम समझेंगे कैसे? जब तक हमारा (prejudice) स्वार्थ रहेगा, तब तक हम समझ … Continue reading सच्चिदानंदविग्रह श्रीगोविन्द कृष्ण ही परमेश्वर हैं। वे अनादि, सबके आदि और समस्त कारणों के कारण हैं।
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नारायण 30-दिन, 26, 17-जनवरी, गुरूवार - 2019
पुत्रदा एकादशी उपवास। (द्वादशी समय – गुरुवार सायं 6.35 से शुक्रवार सायं 5.18 तक, तुलसी चयन निषेद)
माधव 29-दिन, 10, 31-जनवरी, गुरूवार - 2019
षट्तिला उपवास। (द्वादशी समय – गुरुवार सायं 7.38 से शुक्रवार रात्रि 8.33 तक, तुलसी चयन निषेद)
माधव 29-दिन, 26, 16-फरवरी, शनिवार - 2019
त्रिस्पर्षा महास्वद्शी उपवास । श्रीवराहदेव जी का आविर्भाव। (द्वादशी समय – शनिवार प्रातः 6.42 से रविवार 4.42 तक, तुलसी चयन निषेद)
गोविन्द 30 दिन, 11, 2-मार्च, शनिवार - 2019
विजया एकादशी उपवास। (द्वादशी समय – शनिवार दोपहर 12.50 से रविवार दोपहर 2.35 तक, तुलसी चयन निषेद)
गोविन्द 30दिन, 14, 5-मार्च, मंगलवार - 2019
श्री शिव रात्रि।