04. अप्राकृत भाव-सिंधु के कुछ बिंदु

अंतिम चरण का प्रारंभ
वहाँ श्रीराधाकृष्ण हैं
वहां जाने से कुछ खाने की आवश्यकता नहीं होगी
मेरा साथ मेरा अंतिम घनिष्ठ वार्तालाप
एकांत में उनके गुरुदेव के साथ उनका मिलन
सर्वत्र कृष्ण दर्शन
परमानन्द की लहरों में गोते लगाते हुए

७ सितंबर, २०१३ को मध्याह्न के समय, जब राधाकांत प्रभु श्रील गुरुदेव के कमरे में गए, तो उन्होंने देखा कि श्रील गुरुदेव की स्वास्थ्य की स्थिति गंभीर थी। श्रील गुरुदेव खड़े नहीं रह पा रहे थे और उन्होंने अपना संतुलन खो दिया। राधाकांत प्रभु भी उनको पकड़कर खड़े नहीं रख पाए और सहायता के लिए उन्होंने घंटी बजाई।

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उनकी अचिंत्य गतिविधियां

वर्ष २०१३ हमारे लिए अत्यंत रहस्यमय रहा। हम श्रील गुरुदेव के लीलाओं के एक अज्ञात पहलू में प्रवेश करने जा रहे थे। यद्यपि श्रीचैतन्य चरितामृत में विरह-रूपी अग्नि से संतप्त एक महाभागवत की असाधारण लीलाओं के सम्बन्ध में कुछ सामान्य संकेत मिलते हैं, तथापि हम साक्षात् रूप से उन्हें पहली बार दर्शन करने जा रहे थे।

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3. श्रीचैतन्य लीला में उनकी पूर्ण तन्मयता
2. एकांत में उनका आनंद आस्वादन
1. अप्राकृत भाव-सिंधु के कुछ बिंदु