23. श्रीमद् भागवत पुराण (स्कन्ध 3)

अध्याय 33 कपिल के कार्यकलाप

स्कन्ध 3 समाप्त 

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अध्याय 32 कर्म-बन्धन
अध्याय 31 जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश
अध्याय 30 भगवान् कपिल द्वारा विपरीत कर्मों का वर्णन
अध्याय 29 भगवान् कपिल द्वारा भक्ति की व्याख्या
अध्याय 28 भक्ति साधना के लिए कपिल के आदेश
अध्याय 27 प्रकृति का ज्ञान
अध्याय 26 प्रकृति के मूलभूत सिद्धान्त
अध्याय 25 भक्तियोग की महिमा
अध्याय 24 कर्दम मुनि का वैराग्य
अध्याय 23 देवहूति का शोक
अध्याय 22 कर्दममुनि तथा देवहूति का परिणय
अध्याय 21 मनु-कर्दम संवाद
अध्याय 20 मैत्रेय-विदुर संवाद
अध्याय 19 असुर हिरण्याक्ष का वध
अध्याय 18 भगवान् वराह तथा असुर हिरण्याक्ष के मध्य युद्ध
अध्याय 17 हिरण्याक्ष की दिग्विजय
अध्याय 16 वैकुण्ठ के दो द्वारपालों, जय-विजय को मुनियों द्वारा शाप
अध्याय 15 – ईश्वर के साम्राज्य का वर्णन
अध्याय 14 – संध्या समय दिति का गर्भ-धारण
अध्याय 13 – वराह भगवान् का प्राकट्य
अध्याय 12 कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि
अध्याय 11 परमाणु से काल की गणना
अध्याय 10 सृष्टि के विभाग
अध्याय 9 सृजन-शक्ति के लिए ब्रह्मा द्वारा स्तुति
अध्याय 8 गर्भोदकशायी विष्णु से ब्रह्मा का प्राकट्य
अध्याय 7 विदुर द्वारा अन्य प्रश्न
अध्याय 6 विश्व रूप की सृष्टि
अध्याय 5 मैत्रेय से विदुर की वार्ता
अध्याय 4 विदुर का मैत्रेय के पास जाना
अध्याय 3 वृन्दावन से बाहर भगवान् की लीलाएँ
अध्याय 2 भगवान् कृष्ण का स्मरण
अध्याय 1 विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न